Jai Ho Vijay Ho Teri Jain Diksha Song
जय हो विजय हो तेरी जैन दीक्षा भजन
( राग : खुशिया ही खुशियाँ हो . . . )
जय हो विजय हो तेरी , संयम के पथ पे ,
तु जिनशासन शिरोमणि कहलाये ,
माता - पिता की शुभ कामना है ,
माता - पिता का शुभ आशीष है ,
धर्म पताका तुं दुनिया में लेहराये . . .
जीवदया की , अनुकम्पा की ,
जनजन में चेतना तुं भरे ,
वैर मिटाए , प्रेम बढ़ाये ,
जीवन में सुख शांति सबके करे ,
साधु संतों का बढ़े मान तुझसे ,
संयम ये तेरा शिलालेख बन जाये ,
. . . जय हो विजय हो तेरी . . . 1
परिषह मे भी वेष ये तेरा ,
उजला रहे और उजाला करे ,
प्रतिकूलता में प्रसन्न रहे तुं ,
आचरण तेरा पराक्रम करे ,
संयम तेरा आदर्श बनकर ,
आनेवाले युग के दीपक प्रगटाये ,
. . . जय हो विजय हो तेरी . . . 2
कर्मों की रज को दूर हटाने ,
निम्मित तेरा ये ओघा बने ,
मुक्ति महल का राजा बने तुं ,
सिद्ध सिंहासन की शोभा बने ,
आगे बढ़ाये प्रभु की विरासत ,
सुधर्मा स्वामी का पट्टधर तुं कहलाये ,
. . . जय हो विजय हो तेरी . . . 3
गुरु चरणों में अर्पित रहे तु ,
गुरु कृपा ऊँचाई मिले ,
गुणरत्न तेरे रश्मि बिखेरे ,
अज्ञान का तु अंधारा हरे ,
धीरज तेरा विक्रम स्थापे ,
प्रदीप को सुखधाम ले जाये ,
. . . जय हो विजय हो तेरी . . . 4
प्रदीपजी ढालावत
मुंबई
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें