dhany dhany munivara - धन्य - धन्य मुनिवरा

Dhany Dhany Munivara Lyrics

धन्य - धन्य मुनिवरा 

( राग : कारवाँ गुजर गया , गुबार देखते रहे ) 
पंचम काल में संयम , विरले ही स्वीकारते 
विरतिधर के वेष को , शुर वीर धारते ,
करेमि भंते सूत्र का , भाव से उच्चारते , 
सर्व विरति की धर , महाव्रतों को पालते , 
धन्य धन्य मुनिवरा , धन्य धन्य मुनिवरा , 
धन्य धन्य मुनिवरा , धन्य धन्य मुनिवरा . . . 

शीत हो या ताप हो , समता से सहन करे , 
भूख हो या प्यास हो , खुद पे न रहम करे , 
रोग हो या दर्द हो , प्रकट करे ना गम करे , 
रस मिले निरस मिले , गोचरी ग्रहण करे , 
स्वाद से परे रहे , साधुता संवारते , 
साधनों से हो अलग , साधना निखारते , 
ऊंची भावना रखे , भव्य भवन त्यागते , 
यम भी हो भले खड़ा , नियम वो पूरे पालते , 
धन्य धन्य मुनिवरा . . . 1

फूल हो या शूल हो , कदम कभी नहीं रुके , 
महल हो या झोपड़ी , प्रेम से वहाँ रुके , 
मान हो अपमान हो , हर्ष रंज का ना करे , 
राजा हो या रंक हो , मन मे भेद ना रखे , 
इंसान से या स्थान से , मोह नही बांधते , 
तर्क में या बात में , अपनी नहीं तानते , 
हित हो प्राणी मात्र का , ऐसा शुभ विचारते , 
प्राणों से भी प्यारी , प्रभु आज्ञा शिरोधारते , 
धन्य धन्य मुनिवरा . . . 2 

ज्ञान ध्यान साधते , ये साधु हैं महाराज है , 
मौन से मनन करे , ये ऐसे मुनिराज हैं , 
गुरु वचन श्रवण करे , श्रमण पदधार हैं , 
प्रभु की आणा चित धरे , यही वे अणगार है , 
पाँचवे पद पे है , पंचाचार पालते , 
पंच परमेष्टि को , पंचांगो से वन्दते , 
पाँचों इन्द्रिय वश करे , पंचम गति के वास्ते , 
प्रदीप कहे धन्य मुनि , ऐसे पंचम काल में , 
धन्य धन्य मुनिवरा . . . 4

 प्रदीपजी ढालावत 
मुंबई

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