Dhany He Dhany He Dhan Muniraya Lyrics - धन्य है धन्य है धन मुनिराया

Dhany He Dhany He Dhan Muniraya Lyrics

धन्य है धन्य है धन मुनिराया

( राग : जय जय जय शिवराया ) 

तीर्थकरों की , आज्ञा शिरधार , बनने चले , महावीर के अणगार , 
निर्मोही , निर्लिप्त और निर्विकार , मुक्ति के पथ पर करेंगे विहार , 

धन्य है धन्य है धन मुनिराया , 
पथरीला पथ है और कोमल है काया . . . 

तीन रत्नों से , भव ये सजाने , तीनों भुवन में , सत्य फैलाने , 
तीनों ही कालों के दोष मिटाने , तीन गुप्ति धारली , जिनाज्ञा निभाने , 
धन्य है धन्य है धन मुनिराया , 
पथरीला पथ है और कोमल है काया . . . 1 

चारों कषायों को युद्ध मे हराने , चार गतियों की भ्रमणा मिटाने , 
चारों घाति , कर्मों को खपाने , चारों संज्ञाओं से , छुटकारा पाने , 
धन्य है धन्य है धन मुनिराया , 
पथरीला पथ है और कोमल है काया . . . 2 

पंचम दूषम काल में पंचाचारी , पंच परमेष्टि की , आज्ञा स्वीकारी , 
पाच इन्द्रियों की , गुलामी निवारी , पंचम गति पाये प्रदीप सुखकारी , 
धन्य है धन्य है धन मुनिराया , 
पथरीला पथ है और कोमल है काया . . . 3 

प्रदीपजी दालावत
मुंबई

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