Biday do muje smit se
विदाय दो मुजे स्मित से
मात - पिता मुजे आज्ञा दो , संयम की आज्ञा दो ,
संयम जीवन हे , गुरु सानिध्य भी , प्रभु संग प्रीत है मेरी ,
आशीष दो माँ आगे बढु में , कभी भी ना हटुं मैं संयम से ,
पालन गुरु आज्ञा का करु में , नित आनंद में झुमु निज से ,
विदाय दो मुजे स्मित से , ओ माता मेरी ,
विदाय दो मुजे स्नेह से ,
विदाय दो मुजे स्मित से , ओ पिता मेरे ,
विदाय दो मुजे स्नेह से ,
विदाय दो मुजे स्मित से ,
ओ भाई मेरे विदाय दो मुझे स्नेह से ,
राखी का बंधन निभाने , ओ बहना मोरी ,
जुड जा आज प्रभु पंथ से ,
दीक्षा रे . . . दीक्षा रे . . . मेनु दी ' लावो . . . दीक्षा रे . . . दीक्षा रे . . .
ओ . . . माता के संस्कार हंमेशा , कर्मो की निर्जरा करेगा ,
पिता जेसा सरळ स्वभावी . कही ना और मिलेगा ,
भुल से भी कोई भूल हुई हो तो , माफी मेरी स्वीकार लेना ,
एक वारी ही ऋण चुकाने भी देना ,
माता मुझे विदाय दो मुजे स्मित से ( 2 )
लौकिक माँ का त्याग करके , गुरु माँ का प्रिय बनूंगा ,
परम पिता के चरणो में , मेरा जीवन धन्य करूँगा ,
जीनागमो का पान करने , गुरुसंग जाने भी दे . . .
एक वारी ही गुरु संग जाने दे ना ,
एक वारी ही गुरु संग जाने दे ,
माता मुजे विदाय दो मुजे स्मित से ,
एक वारी गुरु संग जाने दे ,
माता मुजे विदाय दो मुजे स्नेह से ,
विदाय दो मुजे प्रेम से , ओ भाई मेरे ,
जुड़जा आज प्रभु पंथ से ,
एक वारी गले लग जाने दे माता तुजे ,
विदाय दो मुजे स्मित से . . .
पू . मुनि श्री जिनागमरत्न वि . म . सा .
( त्रिस्तुतिक समुदाय )
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