Amrut Na Ghutadao Jain Stavan Lyrics - अमृतना घुंटडाओ

Amrut Na Ghutadao Jain Stavan Lyrics

अमृतना घुंटडाओ जैन स्तवन 

( राग : कसुंबीनो रंग ) 
अमृतना घुंटडाओ , भरवाने आनंदे नीकळ्या छे वैरागी वीर , 
झेरीला संसारी सुखड़ाओ जोई ना , पीगळ्या छे वैरागी वीर . . . 1 

आँखोमा आत्माने , हैये परमात्माने , धारे छे वैरागी वीर , 
पैसो प्रतिष्ठा , परिवारनी प्रीति , वारे छे वैरागी वीर . . . 2 . 

अडवाणे पाय , ऐ तो चालीने जाय , मीठु मलकाय वैरागी वीर , 
कष्ट भले थाय , वाहन ना वपराय , एवा गीत गाय वैरागी वीर . . . 3 

मुठ्ठीओ भरी भरी दे वर्षीदान बहु उल्लासे वैरागी वीर ,
संयममां शुभ अने लाभ ए तो माने गुरुकुल वासे वैरागी वीर . . . 4 

ओघो लई हाथमां , खूब - खूब आनंदे , नाचशे आ वैरागी वीर , 
मुहपत्ती धरीने , गुरु पासे शास्त्रोने , वांचशे आ वैरागी वीर . . . 5 

चांदीनी थाळी थी , सोनानी चमची थी , दूर रहे वैरागी वीर , 
लाल - लाल पात्रामा निर्दोष गोचरी मा , रस वहे वैरागी वीर . . . 6 

पाँच - पाँच समितिओं , त्रण - त्रण गुप्तिओं धारशे वैरागी वीर , 
पाँच - पाँच महाव्रतों धरीने , स्वने तारशे वैरागी वीर . . . 7

बाळवय होय के यौवन समय , व्रत स्वीकारे वैरागी वीर , 
वृद्ध उमरमांय , मन वच कायाथी व्रत धारे वैरागी वीर . . . 8 

धन्य - धन्य मात - पिता , धन्य - धन्य गरुजनों जेने नमे वैरागी वीर , 
देवर्धि पामशे ए परम पदमां जेनां , मन रमे वैरागी वीर . . . 9

पू . मुनि श्री प्रशमरति वि. म. सा. 
( श्री रामचंद्रमूरिजी समुदाय )

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