मुमुक्षुने ओघो अर्पण
( राग : आइ , खुशी की है वो रात आई , हमेशा तुजको चाहा )
आवी , खुशीनी पळो आजे आवी ,
रोमे - रोमे अमृत धारा वहावी ,
वरसोथी जे झंखेली , शमणांमां जे जोयेली
पळ ए आजे सामे आवी ,
हुं तो केवो भाग्यशाळी ! ( शंखवादन )
ओघो लइने वेष परिवर्तन माटे जाय त्यारे
( राग : पिंजरामां पोपट बोले , फास्ट धून )
झूमी गयो रे , झूमी गयो , संयममा आत्मा झूमी गयो ,
आनंद आनंद हैये हैये , आनंद आनंद रोमे रोमे ,
जन्मोजनमनां पुण्यो फळ्यां , आजे प्रभु मळ्या ने पापो टळ्यां ,
जुओ दीक्षार्थी केवा मलकी रह्यां , शुभ भावो एना हैये छलकी रह्यां . . .
भवसागरनो पाम्या किनारो के ओघो प्यारो प्यारो ,
हैये उछळे रे हर्ष एकधारो के ओघो प्यारो प्यारो ,
हवे चमक्यो छे भाग्य सितारो के ओघो प्यारो प्यारो ,
आ ओघो छे आजथी मारो के ओघो प्यारो प्यारो ,
आ तो जीवनभरनो सहारो के ओघो प्यारो प्यारो ,
आ एक ज छे तारणहारो के ओघो प्यारो प्यारो . . .
पू . पं . श्री मोक्षरति वि . म . सा .
( श्री रामचंद्रसूरिजी समुदाय )
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