Shyam Kahone Kyare Malsu | श्याम कहोने क्यारे मळशुं

(रचना: पूज्य पंन्यास उदयरत्न विजयजी म. सा.)


श्याम! कहोने क्यारे मळशुं?

डुंगरनी टोचेथी देखो

अमे प्रभु! टळवळशुं…

श्याम! कहोने क्यारे मळशुं?


नथी भूल्या अमे तमने व्हाला,

भूल्या अमारी जातने व्हाला,

तमथी छेटा रहीने अमथा अग्निमां परजळशुं!

श्याम! कहोने क्यारे मळशुं?


आम तेम अमे भटक्या करीए

धीमे पगले वळग्या करीए,

बोलो स्वामी, एक बीजामां

कदी हवे ओगळशुं?

श्याम! कहोने क्यारे मळशुं?


थाय अमोने गिरनारे तुज टेरवा पकडी चडीए,

थाय कदी तमने एवुं के: चाल ‘आंगळी’ दईए…?

तमे अमे संगाथे क्यारे राजुल जेम विहरशुं…?

श्याम! कहोने क्यारे मळशुं?


साचु कहेजो : व्हालम तमने

मळवानुं मन थाय छे अमने?

अमे वियोगी छईए

तमे मळशो तो रणझणशुं

श्याम! कहोने क्यारे मळशुं?


तमारा मननी वातो अमे

अमारा दिलनी वातो तमे

“उदय" कहे एक बीजामां

कदी हवे ओगळशुं…?

श्याम! कहोने क्यारे मळशुं?

टिप्पणियाँ