Shatrunjay Gadh Na Vasi Re Mujro Lyrics Jain Stavan

Shatrunjay Gadh Na Vasi Re Mujro Lyrics Jain Stavan

शेत्रुंजय गढना वासी रे, मुजरो मानजो रे,

सेवकनी सुणी वातो रे, दिलमां धारजो रे,

प्रभु में दीठो तुम देदार,

आज मुने उपन्यो हरख अपार,

साहिबा नी सेवा रे, भवदुःख भांगशे रे… १


एक अरज अमारी रे, दिलमां धारजो रे,

चोराशी लाख फेरा रे, दूर निवारजो रे,

प्रभु मने दुर्गति पडतो राख,

दरशिन वहेलुं वहेलुं रे दाख

साहिबानी…. २


दोलत सवाई रे, सोरठ देशनी रे,

बलिहारी हुं जाउं रे, प्रभु तारा वेशनी रे,

प्रभु तारुं रूडुं दीठुं रूप,

मोह्या सुरनर वृन्दने भूप.

साहिबानी…. ३


तीरथ को नहि रे, शेत्रुंजय सरिखुं रे,

प्रवचन पेखीने रे, कीधुं में पारखुं रे,

ऋषभने जोई जोई हरखे जेह,

त्रिभुवन लीला पामे तेह.

साहिबानी…. ४


भवोभव मांगु रे, प्रभु ताहरी सेवना रे,

भावठ न भांगे रे, जगमां जे विना रे,

प्रभु मारा पूरो मनना कोड,

इम कहे उदयरत्न कर जोड.

साहिबानी…. ५

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