Ame Aashish dai aajai - अमे आशिष दइए आजई

Ame Aashish Dai Aaj Jain Stavan Lyrics

अमे आशिष दइए आज


( राग : होठों से छू लो तुम . . . ) 

अमे आशिष दईए आज , तमे सजी लो संयमसाज 
तम उज्ज्वळ जीवन काज , अमे प्रार्थीए श्री जिनराज . . . 

परिवार सजाव्यो हतो , रुडी दुनिया वसावी हती , 
संस्कार सुधा पीरसी , परिमल प्रसरावी हती , 
धन , दौलत , शान तजी , तमे दीधुं वरसीदान . . . अमे . . . 1 

सूनी पडशे महेलातो , सूना थाशे घरबार , 
सूना थाशे सह स्नेही , सूनो थाशे संसार , 
रडती आंखड़ीओ सहुनी , देती तमने विदाय . . . अमे . . . 2 

संभाळी डग भरजो , आ पंथ शूरानो छे , 
तप त्यागमां रत रहेजो , आ मार्ग शूरानो छे , 
जिनआज्ञा संग रही , तमे करजो सघळां काज . . . अमे . . . 3 

गंभीरता गुण धरजो , धरजो धीरजना ध्यान , 
शास्त्रोंना शब्दोथी , तमे रहेजो सदा एकतान , 
स्वाध्यायना साधनथी , तमे साधजो सिद्धनुं स्थान . . . अमे . . . 4 

रवि ज्यां सुधी शोभे , तुम तेज प्रकाशित हो , 
शशी ज्यां सुधी शोभे , तुम चारित्र चमकित हो , 
निरंजन पद पामी , तमे पामो ' जय जयकार . . . अमे . . . 5 

जयश्री मुकेशभाई कोठारी
मुंबई

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