Agnikay skamapana - अग्निकाय क्षमापना

Agnikay Kshamapana
अग्निकाय - क्षमापना 


( राग : इतनी शक्ति हमें दे ना दाता . . . ) 

श्रेष्ठ करुणा वहे ज्यां पले पळ , एवं संयम मने जोईए छे ! 
दुःख सही लउं , न दुःख दउं कोईने , एवु उपशम मने जोईए छे ! 

हे अग्निकायिक जीव ! तमने , केवी केवी रीते में सताव्या , 
इलेक्ट्रोनिक इलेक्ट्रिक पदार्थो , वापर्या भट्टी चूला जलाव्या , 
हवे करुणा - क्षमानो जीवनमां , मधुर संगम मने जोइए छे . . . . दुःख सही लउं . . . 1 

आ ते केवू जीवन , केवुं सुख आ , केवो संसार छे आ भयंकर ! 
आ जीवन आ विषयसुख मळे छे , 
रे ! अनंता जीवोनी कबर पर ज्यां अभय छे , 
सुखों ज्यां अमर छे , एवुं जीवन मने जोइए छे , 
दुःख सही लउं . . . 2 

अगनगोळो छे संसारी व्यक्ति , करे षट्काय जीवोनी होळी , 
श्रमण जाणे करुणाझरण छे , सौने दे जे प्रशममां झबोळी , 
वहे करुणालहर ज्यां निरंतर , एवी मोसम मने जोइए छे , 
दुःख सही लउं . . . 3 

पू . पं . श्री मोक्षरति वि . म . सा . 
( श्री रामचंद्रसूरिजी समुदाय )

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